Tuesday 31 March 2020

ग़म के नाम

Gallery में छुपी हुई तस्वीरों को छूते हुए
खुद को आज पूछती हूँ
कौनसी जगह दर्द होता है?
और जवाब आने से पहले आंसू आते है
कौनसी जगह दर्द नहीं होता?

कभी नए रिश्ते बनाते वक़्त
शरीर कांपता नहीं था
डर था, पर जानलेवा नहीं था
पुरानी मैं, थोड़ी हलकी थी शायद
 
कहाँ दर्द होता है?
गलियों में, मस्जिदों में
दुकानों में, रिक्शों में
तस्वीरों से मुझे देखते चेहरों में
खानो में, गानों में, शहरों में
चित्रों में, कविताओं में
काजल से भरी आँखों में
जुति में, लिपस्टिक में
एक दो नहीं, नो नो घरों में
ट्रैन में, प्लेन में, बस में, कार में
एक ख़ास साथी की पुकार में
टेक्स्ट में, सैक्स्ट में, सेक्स में
चहरे पर खींचती हुई झुरियों में
आवाज़ों में, साज़ों में, टीवी के शो में
चलें जाने के बाद के FOMO में

कहाँ दर्द होता है?
वो million dollar smile वाली फोटो
जिसके आंसूं सिर्फ मुझे दिखते है
और वो रोती हुई सेल्फी में
जिसको विटनेस करने वाले अब दूर चले गए

कहाँ दर्द नहीं होता?
छोड़ने में, छूटने में
सपनों के टूटने में
हर फोटो से दर्द होता है
हर कोने में दर्द होता है
बालों में, गालों में, ख़यालों में
ज़िंदगी के पिछले तीन सालों में|

P.S. - 
कभी कभी सोचती हूँ
काश इटरनल सनशाइन ऑफ़ स्पॉटलेस माइंड
की टेक्नोलॉजी
सच में कहीं मिल जाती

1 comment:

  1. बहुत सुंदर भावुक रचना।

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