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इन साँसों का देखो तुम पागलपन के
आए नहीं इन्हें चैन
मुझसे ये बोली मैं राहों में तेरी
अपने बिछा दूं ये नैनइन ऊंचे पहाड़ों से जां दे दूंगा मैंइन ऊंचे पहाड़ों से आवाज़ दे दूंगा मैं
अगर तुम ना आई कहीं
तुम उधर जान उम्मीद मेरी जो तोड़ो
इधर ये जहां छोडू मैं
मौत और ज़िन्दगी, तेरे हाथों में दे दिया रे
अगर तुम ना आई कहीं
तुम उधर जान मझधार में जो डूबो
इधर तेरी नाव बनु मैं
मौज और कश्ती, तेरे हाथों में दे दिया रे ।
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